आनंदपुर साहिब में शुरू होने जा रहा ऐतिहासिक समागम, पंजाब सरकार की तैयारियां बढ़ा रहीं श्रद्धा और उत्साह
श्री आनंदपुर साहिब में 23 से 25 नवंबर तक गुरु तेग बहादुर जी और उनके साथियों की 350वीं शहादत को समर्पित भव्य समागम आयोजित होगा. पहली बार विशेष विधानसभा सत्र सहित हेरिटेज वॉक, नगर कीर्तन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और ड्रोन शो इस आयोजन को ऐतिहासिक और यादगार बनाएंगे.

श्री आनंदपुर साहिब एक बार फिर पूरी दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र बनने जा रहा है. दो दिन बाद, 23 नवंबर से, श्री गुरु तेग बहादुर जी और उनके तीन महान साथियों, भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी दिवस पर तीन दिवसीय भव्य कार्यक्रम की शुरुआत होने वाली है. इस आयोजन को लेकर पूरे पंजाब में श्रद्धा और गर्व का माहौल है. पंजाब सरकार ने इस ऐतिहासिक अवसर को विशेष रूप से तैयार किया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां सिख इतिहास और मानवता की उस विरासत को समझ सकें जिसने धर्म और इंसानियत की रक्षा के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया.
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान सिर्फ सिख इतिहास नहीं, पूरे विश्व को मानव अधिकारों का संदेश देता है कि दूसरों की आस्था की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर देना. इसी संदेश को याद करते हुए 23 नवंबर की सुबह कार्यक्रम की शुरुआत अखंड पाठ, प्रदर्शनी और सर्व धर्म सम्मेलन से होगी.
24 नवंबर: इतिहास से साक्षात्कार
अगला दिन पूरी तरह विरासत और शहादत को समर्पित होगा. सुबह शीश भेंथ नगर कीर्तन निकलेगा. यह यात्रा उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाती है जब भाई जैता जी गुरु तेग बहादुर जी का शीश दिल्ली से सुरक्षित लाकर आनंदपुर साहिब लाए थे. यह नगर कीर्तन न सिर्फ धार्मिक यात्रा है बल्कि साहस और भक्ति का प्रतीक है.
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इसके बाद हेरिटेज वॉक आयोजित होगी, जिसमें गुरुद्वारा भौरा साहिब, शीश गंज साहिब, गुरु तेग बहादुर म्यूज़ियम, तख़्त श्री केसगढ़ साहिब, क़िला आनंदगढ़ साहिब और विरासत-ए-खालसा जैसे ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करवाई जाएगी. यह वॉक लोगों को इतिहास को महसूस कराने का एक जीवंत अनुभव होगा.
पहली बार होगा विशेष विधानसभा सत्र
सुबह 11 बजे गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को समर्पित विशेष विधानसभा सत्र आयोजित किया जाएगा. ऐसा पहली बार होगा कि किसी राज्य की विधानसभा शहीदी दिवस को आधिकारिक रूप से सम्मान देगी. यह पंजाब सरकार की श्रद्धा और गुरु साहिबानों के प्रति सम्मान का बड़ा प्रतीक माना जा रहा है.
शाम में वीरता और संस्कृति का संगम
दिनभर चलने वाले कविशर दरबार, धाडी वार, नाटक, कविताएँ और गुरमत आधारित प्रस्तुतियाँ लोगों को गुरु साहिब की शिक्षाओं से रूबरू कराएंगी. शाम होते ही चरन गंगा स्टेडियम में एक भव्य कार्यक्रम होगा जिसमें गतका, तलवारबाज़ी, शस्त्र दर्शन और खालसा पंथ की वीरता को अद्भुत अंदाज़ में दिखाया जाएगा. इसके बाद विरासत-ए-खालसा में शानदार ड्रोन शो होगा, जिसमें रोशनी और तकनीक के ज़रिए गुरु तेग बहादुर जी की जीवन यात्रा प्रस्तुत की जाएगी.
रात में कथा और कीर्तन से पूरा वातावरण आध्यात्मिक शांति और भावनाओं से भर जाएगा. लोगों की स्पष्ट राय है कि यह आयोजन केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक संस्कार और श्रद्धा का महापर्व है, जिसे पंजाब सरकार पूरे सम्मान और निष्ठा के साथ निभा रही है.
आने वाले तीन दिनों में लाखों लोग एक साथ इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे-श्रद्धा में, इतिहास में, और उस विरासत में जिसने पंजाब और सिख पंथ को दुनिया में अद्वितीय पहचान दी है










