यहां किराए पर मिलती हैं 'दादियां', इमोश्नल सपोर्ट से लेकर खाना बनाने तक करती है मदद, एक घंटे के लिए देने होते हैं 1900 रुपये!

न्यूज तक

जापान में ‘ओके ग्रैंडमा’ नाम की सेवा के तहत लोग 60 साल से ज्यादा उम्र की दादियों को एक घंटे के लिए 1900 रुपये में किराए पर बुला सकते हैं. ये दादियां सलाह देने, घरेलू कामों में मदद करने और भावनात्मक सहारा देने जैसे काम करती हैं.

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elderly Japanese woman teaching couple
जरूरतमंदों को यहां किराये पर दादी मां उपलब्ध करा रही एक कंपनी (Photo - AI Generated)
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क्या आपने कभी सोचा है कि जब आपको किसी मुश्किल घड़ी में दिल से सलाह की ज़रूरत हो, तो कोई ऐसा हो जो आपकी बात सुने, आपको समझे और अपने अनुभव से आपको रास्ता दिखाए? जापान में अब ये मुमकिन है, वो भी एक घंटे के किराये पर.

जापान की एक अनोखी सर्विस 'ओके ग्रैंडमा' ने इस सोच को हकीकत बना दिया है. इस सेवा के तहत लोग 60 साल से ज्यादा उम्र की दादियों को किराये पर बुला सकते हैं, वो भी महज 1900 रुपये (करीब 3,300 येन) प्रति घंटे के हिसाब से.

मुसीबत में साथ देती हैं अनुभव की धनी दादियां

'ओके ग्रैंडमा' नाम की यह सेवा, जापान की एक कंपनी ‘क्लाइंट सर्विसेज’ की पेशकश है, जो 2012 से शुरू हुई थी. इसका मकसद है अकेलेपन से जूझ रहे लोगों को सहारा देना और युवा पीढ़ी को बुजुर्गों के अनुभवों से जोड़ना.

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इन दादियों को केवल बातचीत के लिए नहीं, बल्कि जीवन के तमाम छोटे-बड़े मसलों पर सलाह लेने के लिए भी बुलाया जा सकता है. ये दादियां जीवन के कई उतार-चढ़ाव देख चुकी होती हैं, इसलिए छोटी बातों में घबराने की बजाय ठंडी समझ से हालात को सुलझाना सिखाती हैं.

हर परेशानी का मिल जाता है घरेलू समाधान

अगर आपको रिश्तों की उलझनों को सुलझाना है, बच्चों की परवरिश को लेकर उलझन है, या घरेलू कामों में मदद चाहिए तो ये दादियां हर मोर्चे पर आपके साथ खड़ी हो सकती हैं. कोई अच्छी खाना बनाना जानती है, कोई साफ-सफाई की माहिर है, तो कोई बच्चों के मन को समझने में उस्ताद.

आपकी जरूरत के हिसाब से चुनें अपनी ‘दादी’

कंपनी के पास 100 से ज्यादा अनुभवी महिलाएं हैं, जिनमें से ग्राहक अपनी ज़रूरत के अनुसार दादी चुन सकते हैं. चाहे आपको किसी पारिवारिक कार्यक्रम में साथ चाहिए हो, कोई मन की बात करनी हो या जीवन से जुड़ा कोई फैसला लेना हो ये दादियां आपकी हिम्मत बन सकती हैं.

बुजुर्ग महिलाओं को भी मिल रहा नया जीवन

इस सेवा का एक और बड़ा फायदा ये है कि इससे बुजुर्ग महिलाओं को भी अपनी जिंदगी में नया मकसद मिल रहा है. जो महिलाएं रिटायरमेंट के बाद अकेलापन महसूस करती थीं, अब वो अपने अनुभव और प्यार से दूसरों की ज़िंदगी बेहतर बना रही हैं और साथ में कुछ कमाई भी कर रही हैं. खास बात यह है कि इस सेवा से जुड़ने के लिए किसी खास डिग्री या ट्रेनिंग की ज़रूरत नहीं होती – बस धैर्य, समझदारी और दूसरों की मदद करने का जज़्बा होना चाहिए.

जापान में ‘ओके ग्रैंडमा’ जैसी सेवा यह दिखाती है कि तकनीक और मानव संवेदना मिलकर समाज को कितना सुंदर और सहयोगी बना सकते हैं. शायद ऐसी पहलें भविष्य में भारत जैसे देशों में भी अपनाई जा सकती हैं. 

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