कर्नाटक में क्यों हो रही KJ जॉर्ज के रोल की चर्चा, हाईकमान के इशारे पर सुलह करा रहे जॉर्ज
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले पर फंस गई है. जहां सिद्धारमैया कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं और डीके शिवकुमार अपनी बारी का इंतज़ार नहीं करना चाहते. इस विवाद को सुलझाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता केजे जॉर्ज को मध्यस्थ की भूमिका में आगे लाया गया है.

देश में सरकारें और पीएम-सीएम 5 साल के लिए चुने जानते हैं. फिर भी राजनीति में अक्सर ढाई-ढाई साल के सीएम के फॉर्मूले की चर्चा होती है. हालांकि आज तक कभी ये फॉर्मूले ने काम नहीं किया. कभी कोई सीएम ढाई साल बाद सीएम पद छोड़कर चला गया. आज इसी फॉर्मूले के कारण कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार विवादों में घिरी है. दावा किया जाता है कि 2023 में इसी फॉर्मूले पर सिद्धारमैया सीएम बनाए गए थे. ढाई साल बाद डीके शिवकुमार को सीएम बनना था.
सिद्धारमैया करते हैं ऐसे फॉर्मूले से इनकार
सिद्धारमैया ऐसे किसी फॉर्मूले से इनकार करते हैं. डीके खुलकर बोलते नहीं हैं लेकिन डीके के भाई डीके सुरेश ने दावा किया था कि जब ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला फाइनल हुआ तब वो विटनेस थे. कांग्रेस हाईकमान को समझ नहीं आ रहा है कि वो डीके-सिद्धारमैया का झगड़ा कैसे सुलझाए.
कर्नाटक में एक नाम अचानक चर्चा में आ गया है जिसे मिडिएटर या मध्यस्थ कहा जा रहा है. बैंगलोर में केजे जॉर्ज की एक्टिविटी को देखकर दावा किया गया है कि वो मध्यस्थ बनकर डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच सुलह कराने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. एक ही दिन कुछ घंटों के अंतराल पर केजे जॉर्ज की खरगे, सिद्धारमैया, डीके से मुलाकातों के बाद ये चर्चा गर्म है कि केजे जॉर्ज से कहा गया है मध्यस्थता कराने के लिए. केजे जॉर्ज ने खुद ऐसे किसी रोल में होने से इनकार किया है लेकिन डीके और सिद्धारमैया से मिलने के बाद उन्होंने जो कहा उससे इशारा लग रहा है कि फिलहाल कोई बड़ा फैसला नहीं होने जा रहा है. डीके शिवकुमार कतई सीएम बनने की जिद पर अड़े हैं.
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कौन है केजे जॉर्ज
76 साल के केजे जॉर्ज का परिवार केरल के कोट्टायम से कर्नाटक के कोडागू आकर बसा. मलयाली जॉर्ज कन्नड़ स्टेट में बड़ा बड़ा नाम राजनीति और बिजनेस में है. कर्नाटक कांग्रेस के बड़े सीनियर नेता हैं. सिद्धारमैया की उम्र के आसपास हैं और डीके शिवकुमार से काफी सीनियर हैं. सिद्धारमैया की सरकार में एनर्जी मंत्री हैं. कभी सीएम, प्रदेश अध्यक्ष बनने की होड़ में नहीं रहे लेकिन हर दौर में कांग्रेस में एक्टिव रोल में रहे. केजे जॉर्ज इतने बड़े कांग्रेसी हैं कि एक बार 1968 में कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद जरा भी नहीं हिले. करीब 57 साल की कांग्रेस के प्रति निष्ठा के कारण ही उन्होंने मध्यस्थतता की जिम्मेदारी दी गई हो.
राजनीति में सिद्धारमैया पुराने
कांग्रेस की राजनीति में सिद्धारमैया से कहीं ज्यादा पुराने हैं केजे जॉर्ज लेकिन अब सिद्धारमैया के बेहद करीबी लोगों में गिने जाते हैं. आज मध्यस्थता कराने में जुटे जॉर्ज सिद्धारमैया के अगले 10 साल तक सीएम बने रहने की भविश्यवाणी कर चुके हैं. केजे जॉर्ज ने राजनीति करते हुए अपनी ट्रबल शूटर इमेज बनाई. एस बंगारप्पा से लेकर सिद्धारमैया तक केजे जॉर्ज ट्रबल शूटर माने जाते रहे. 2017 की ईटी रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धारमैया ने केवल जॉर्ज को गृह मंत्री बनाया बल्कि टाइम स्पेंड करने अक्सर जॉर्ज के घर आते रहे. केजे जॉर्ज कांग्रेस के कई सीएम की सरकारों में बड़े मंत्री रह चुके हैं. कर्नाटक के गृह मंत्री भी रहे. लो प्रोफाइल रहते हुए उन्होंने 50 साल अपनी राजनीति चलाई है. तब से लहर किसी की चल रही हो, केजे जॉर्ज अपना चुनाव निकालते रहे.
रेप को लेकर विवाद
कर्नाटक के गृह मंत्री रहते हुए केजे जॉर्ज ने खूब गुल खिलाए. रेप को लेकर उनका विवाद कांग्रेस को बहुत भारी पड़ा. 2015 में बैंगलोर में बीपीओ कर्मचारी के साथ गैंगरेप पर उन्होंने कहा था कि एक या दो लोगों के द्वारा किया गया बलात्कार सामूहिक बलात्कार नहीं है. तीन या चार लोगों द्वारा किए गए बलात्कार" को ही सामूहिक बलात्कार की श्रेणी में रखा जा सकता है. 2016 में शहर विकास मंत्री पद से इस्तीफा तब हुआ जब एक डीएसपी ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में केजे जॉर्ज का नाम लेते हुए जान दे दी थी.
सिद्धारमैया डीके के लिए छोड़ना नहीं चाहते कुर्सी
कर्नाटक कांग्रेस में झगड़ा इस बात को लेकर है कि सिद्धारमैया डीके के लिए कुर्सी छोड़ना नहीं चाहते. दबी जुबान में डीके ऐसी इच्छा रखते हैं. दोनों के झगड़े में गृह मंत्री जी परमेश्वरा और सतीश जारकीहोली ने भी दावेदारी पेश की हुई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे कह रहे हैं कि फैसला हाईकमान करेगा. मैं अथॉरिटी नही हूं. हाईकमान मतलब कुछ भी होना है तो वो राहुल गांधी करेंगे. राहुल गांधी कहीं कुछ करते, किसी से बात करते दिखे नहीं. उनके विदेश में होने से चीजें बिखरी हुई हैं. ये सब जब हो रहा है जब मल्लिकार्जुन खरगे भी बैंगलोर में डेरा डाले हैं. सिद्धारमैया शनिवार को रात को खरगे से मिले. ये बताने के लिए कि डीके के समर्थक विधायकों का दिल्ली जाना अच्छा नहीं लगा.
रविवार को केजे जॉर्ज पहले सीएम सिद्धारमैया से मिले. फिर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे से मिलने पहुंचे. फिर केजे जॉर्ज के घर डीके शिवकुमार मिलने के लिए पहुंचे. डीके की केजे जॉर्ज के साथ एक घंटे तक मीटिंग चली. दोनों ने मीटिंग की कोई डिटेल नहीं दी लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केजे जॉर्ज ने डीके से धीरज रखने को कहा. डीके ने पूछा लिया कि धीरज, धैर्य कब तक रखना है. इसका जवाब केजे जॉर्ज नहीं दे पाए. डीके अब मुंहजबानी कोई भरोसा लेने के मूड में नहीं हैं. सिद्धारमैया कैंप डीके पर ये पूछकर हमला कर रहा है कि उन्हें कागज दिखाना चाहिए कि ढाई साल में किसने सीएम बनाने का वादा किया था.
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