साप्ताहिक सभा: PM मोदी ने किया है 370 सीट जीतने का दावा, यशवंत देशमुख को क्या लगता है?
Lok Sabha election 2024: यशवंत देशमुख कहते हैं ये सर्वे फरवरी 2024 के हिसाब से है. इसमें फिलहाल 370 और 400 पार होने वाली स्थिति नहीं दिखी है.
Lok Sabha election 2024: देश में लोकसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है. पिछले दिनों संसद में बोलते हुए पीएम मोदी ने भरोसा जताया कि देश की जनता उन्हें 2024 के आम चुनावों में 370 सीटों से कम नहीं देगी. हाल ही में इंडिया टुडे ग्रुप और सी-वोटर्स ने फरवरी 2024 के मूड ऑफ द नेशन (MOTN) के आंकड़े जारी किए. MOTN में बीजेपी को 304 सीटें मिलती हुई दिखाई गई हैं. वोट शेयर 40 फीसदी के आसपास. कांग्रेस को 71 सीटें दी गई हैं, वोट शेयर 19 फीसदी. वहीं अन्य दलों को 168 सीटें मिलती नजर आ रही हैं, जबकि वोट शेयर 41 फीसदी.
बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन NDA की बात करें, तो इसे 335 सीटें और 44 फीसदी वोट शेयर का अनुमान है.कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA को 166 सीटें और 38 फीसदी वोट का अनुमान है. वहीं अन्य दलों को 42 सीटें और 18 फीसदी वोट का अनुमान है. तो क्या बीजेपी का 370 का दावा हवा-हवाई है? न्यूज Tak के खास कार्यक्रम साप्ताहिक सभा में इस बार के मेहमान रहे सी-वोटर्स के संस्थापक यशवंत देशमुख से ऐसे ही तमाम मुद्दों पर बात हुई. पेश है इस बातचीत के संक्षिप्त अंश…
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा और बिहार में सियासी बदलाव का पूरा इंपैक्ट अभी बाकी!
यशवंत देशमुख कहते हैं कि दो चीजें समझने लायक हैं. ये सर्वे आज (फरवरी 2024) के हिसाब से है. इसमें फिलहाल 370 और 400 पार होने वाली स्थिति नहीं दिखी है. वह आगे कहते हैं कि सर्वे में 70-80 फीसदी फील्ड वर्क 22 जनवरी से पहले का है. यानी अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले का. हालांकि उसका इमोशन अटैच है, लेकिन पूरा इंपैक्ट इसमें दिखा है ऐसा कहना सही नहीं होगा. हम जबतक अयोध्या को समेटते बिहार में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए. बिहार की इस घटना का एक त्वरित सर्वे में अंदाजा ले लिया गया लेकिन पूरा इंपैक्ट आ गया हो, ऐसा दावा करना गलत हो गया. आज चीजें तेजी से बदल रही हैं, हर रोज नया घटित हो रहा है.
इस बात पर Tak समूह के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि 370 अनुच्छेद से आरएसएस-बीजेपी का पुराना नाता रहा है. कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए यह आंकड़ा सामने किया गया है. इस आंकड़े को बीजेपी की नजर से देखें, तो 6 महीने पहले तक यानी राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले तक बात हो रही थी कि क्या 300 पार जा पाएगी, पिछली बार भी एक आंकड़े पर चर्चा की थी कि 2014, 2019 में 337 सीटें बीजेपी जीती थी. सारी जीतेगी तो भी 370 होता नहीं दिख रहा. बीजेपी इससे आगे जाएगी या पीछे ये इस बात पर निर्भर करेगा कि महाराष्ट्र, बिहार में क्या होगा.
सर्वे में महाराष्ट्र-बिहार में दिखा नुकसान, क्या BJP ने तोड़फोड़ मचा भरपाई कर ली?
बिहार में पिछले दिनों नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए. वह विपक्ष के इंडिया गठबंधन के सूत्रधारों में से एक थे. महाराष्ट्र में अजित पवार को चाचा शरद पवार की पार्टी एनसीपी का कब्जा मिल गया. बाद में बीजेपी ने यहां से कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को ही तोड़ लिया. उन्हें राज्यसभा कैंडिडेट बना दिया. इससे पहले मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मिलिंद देवड़ा शिवसेना में शिंदे गुट के हो गए. फिर कांग्रेस नेता बाबा सिद्दिकी ने अजित पवार वाली एनसीपी का दामन थाम लिया. क्या बीजेपी और उसक सहयोगियों ने तोड़-फोड़ मचा महाराष्ट्र-बिहार के नुकसान की भरपाई कर ली?
यशवंत देशमुख कहते हैं कि मैंने चार राज्य रेड फ्लैग किए थे. कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र और बंगाल. इन राज्यों में बीजेपी सर्वे के आंकड़े को गंभीरता से लेते दिख रही है. सबसे ज्यादा लो हैंगिंग फ्रूट कर्नाटक था. विधानसभा चुनाव के बाद कर्नाटक में बड़ा नुकसान अब होता नहीं दिख रहा, बीजेपी ने यहां जेडीएस को अपने पाले में कर लिया है. महाराष्ट्र में उन्होंने ऑपरेशन किया, बिहार में मेगा ऑपरेशन किया. बिहार में गणित ही चल रहा है, केमिस्ट्री की जगह. नीतीश कुमार का जो सपोर्ट बेस है वो आरजेडी और बीजेपी के सपोर्ट बेस से आराम से मिल जाता है. आंकड़ों से पता चल रहा है कि नीतीश कुमार की ब्रैंड इमेज घट रही है. इसलिए जेडीयू बनाम आरजेडी की सीधी लड़ाई में आरजेडी का फायदा हो सकता है. पर मुझे लगता है कि बिहार को एनडीए रिपेयर कर चुका है.
यशवंत देशमुख कहते हैं कि महाराष्ट्र की गणित और केमिस्ट्री अलग-अलग चीजें हैं. महाराष्ट्र में हम 6 पार्टियों बीजेपी, शिंदे शिवसेना, अजित पवार एनसीपी, कांग्रेस, शरद पवार एनसीपी और उद्धव शिवसेना के बारे में पूछ रहे हैं. इसके बाद हम गठबंधन के हिसाब से जोड़कर आंकड़े निकाल रहे हैं. इसके अलावा हमारे पास कोई उपाय नहीं है. इसमें अंतर्विरोध बहुत हैं. बाल ठाकरे को मानने वाले या उद्धव ठाकरे के शिवसैनिक बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस-एनसीपी को वोट कैसे करेंगे उसे मैं समझ नहीं पा रहा. इसी तरह बीजेपी के वोटर एनसीपी या अजित पवार के कैंडिडेट को कैसे वोट करेंगे? जबतक फाइनल सेटलमेंट न हो सीट का, इसका सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. मोदी का स्ट्राइक रेट राहुल की तुलना में ज्यादा होना महाराष्ट्र में बीजेपी को आगे ला सकता है.
मिलिंद खांडेकर कहते हैं कि इतनी उथल पुथल के बावजूद बिहार और महाराष्ट्र को प्रिडिक्ट कर पाना मुश्किल है. मेरा अनुमान है कि बीजेपी ने इन राज्यो में हमारा खेल नहीं बनेगा तो हम तुम्हारा खेल बिगाड़ देंगे वाला खेल किया है. नेताओं को तोड़ा है तो ये मैसेज गया कि INDIA गठबंधन में एकता नहीं है.
यशवंत देशमुख से हुई इस पूरी बातचीत को यहां नीचे दिए गए वीडियो पर क्लिक कर देखा और सुना जा सकता है.