आंध्रा में सियासी लड़ाई से पहले शर्मिला-जगन का फैमिली रीयूनियन, जानिए भाई-बहन के बीच की सियासत को?
शर्मिला रेड्डी ने अपने बेटे राजा रेड्डी और होने वाली बहू प्रिया की इंगेजमेंट सेरेमनी की. बेटे के इंगेजमेंट में शर्मिला रेड्डी ने पार्टी पॉलिटिक्स को साइड रखकर बड़े भाई जगन मोहन को भी बुलाया.
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Andhra Pradesh News: आंध्र प्रदेश के चुनावी सीजन के बीच शर्मिला रेड्डी के घर शहनाई बज रही है. शर्मिला रेड्डी ने अपने बेटे राजा रेड्डी और होने वाली बहू प्रिया की इंगेजमेंट सेरेमनी की. अगले महीने 17 फरवरी को धूमधाम से शादी होगी. बेटे के इंगेजमेंट में शर्मिला रेड्डी ने पार्टी पॉलिटिक्स को साइड रखकर बड़े भाई जगन मोहन को बुलाया. भांजे की जिंदगी के सबसे बड़े मौके पर मामा जगन मोहन रेड्डी मामी वाईएस भारती रेड्डी के साथ आर्शीवाद देने आए. जगन ने ऐसा फोटो शूट कराया ताकि फ्रेम में मां विजयम्मा, बहन शर्मिला, बहनोई अनिल जरूर दिखें.
दूरियां राजनीति के कारण हुई लेकिन रिश्ते नहीं टूटे. जगन ने मां विजयम्मा को देखा तो गले लगा लिया. एक-दूसरे के साथ से चहक उठे शर्मिला औऱ जगन. बहुत बरसों के बाद पहली बार जगन मोहन रेड्डी, शर्मिला रेड्डी और मां विजयम्मा का फैमिली रीयूनियन हुआ. शादी का पहला कार्ड देने शर्मिला जगन के घर गईं थी.
जगन को हराने की प्लानिंग में है शर्मिला
जगन बहन के बुलाने पर चले तो गए लेकिन उनकी पार्टी कैंपेन कर रही है कि शर्मिला को कांग्रेस में एंट्री चंद्रबाबू नायडू ने दिलाई. ये हल्ला तब से मचने लगा जब शर्मिला ने क्रिसमस पर चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेशन को गिफ्ट भेजा था. वैसे भी ये चर्चा चल रही है कि जगन को हराने के लिए कांग्रेस और चंद्रबाबू के अलायंस की कोशिश हो रही है. इन्हीं चर्चाओ के बीच शर्मिला चंद्रबाबू नायडू के घर जाकर शादी में आने का बोलकर आईं.
आंध्र के पड़ोसी तेलंगाना में राजनीतिक शिष्टाचार अलग लेवल का है. केसीआर से मिलने रेवंत रेड्डी चले जाते हैं लेकिन तेलंगाना में जब रेवंत रेड्डी चुनाव जीतकर सीएम बने तो जगन मोहन रेड्डी ने राजनीतिक शिष्टाचार के नाते भी उनको बधाई या शुभकामनाएं नहीं दी. जगन और चंद्रबाबू के बीच भी ऐसा कोई शिष्टाचार नहीं चलता. चर्चा हो रही हैं कि क्या शर्मिला के बेटे की शादी में जगन मोहन, चंद्रबाबू नायडू, रेवंत रेड्डी-सब एक स्टेज पर दिखेंगे?
पिता की मृत्यु के बाद शुरू थी भाई-बहन की सियासी पारी
2009 में प्लेन क्रैश में मारे जाने तक वाई एस राजशेखर रेड्डी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे. कांग्रेस सरकार के सीएम भी थे. उनके जाने से पहले आंध्र प्रदेश में कांग्रेस बिखर गई. 10 साल बाद रेड्डी परिवार में भी अलगाव हो गया. 2019 के चुनावों तक जगन और शर्मिला रेड्डी एक साथ वाईएसआरसीपी में थे लेकिन 2021 में शर्मिला भाई से अलग और दूर तेलंगाना में राजनीतिक जमीन बनाने में जुटी.
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भाई-बहन की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से रास्ते अलग-अलग हुए. वाईएसआर की पत्नी विजयम्मा बेटे जगन को छोड़कर बेटी शर्मिला की साइड चली गईं. शर्मिला ने तेलंगाना में वाईएसआरटीपी नाम की पार्टी भी बनाई लेकिन कांग्रेस की मदद के लिए विधानसभा चुनाव से दूर रहीं. अब उसी पार्टी का विलय करके कांग्रेस में आई हैं. तेलंगाना में छोटी सियासी पारी खेलने के बाद शर्मिला आंध्र प्रदेश को सियासी जमीन बनाने की कोशिश कर रही है.
कांग्रेस ने शर्मिला को अध्यक्ष बनाकर खेला है बड़ा दाव
आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने शर्मिला रेड्डी को 23 साल बाद वाईएसआर की राजनीतिक विरासत सौंपी. 2009 के बाद यही विरासत जगन मोहन रेड्डी को नहीं सौंपने से पार्टी का सत्यानाश हुआ था. पूरे रेड्डी परिवार ने अपमान मानकर कांग्रेस के खिलाफ अलग पार्टी वाईएसआरसीपी बनाई थी. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस का डबल नुकसान हुआ था. पहला नुकसान टक्कर में वाईएसआरसीपी के खड़े होने से हुआ. दूसरा नुकसान आंध्र प्रदेश का विभाजन करके तेलंगाना बनाने से हुआ. तेलंगाना में भी फायदा नहीं हुआ और 2014 से 2019 तक आंध्र प्रदेश के लोकसभा-विधानसभा के हर चुनाव में कांग्रेस हारी.
जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला रेड्डी को आंध्र प्रदेश की कमान देकर कांग्रेस ने सबसे बड़ा दांव खेला है लेकिन इससे धर्मसकंट बढ़ा रेड्डी परिवार में. जगन मोहन की तरक्की में कभी शर्मिला रेड्डी का भी बड़ा हाथ था. अब क्या कहकर बड़े भाई के खिलाफ कैंपेन करेंगी शर्मिला और क्या कह कर छोटी बहन को हराने की चाल चलेंगे जगन.