दिल्ली पहुंचे कमलनाथ के BJP संग जाने की चर्चा, मनाने की कोशिश नहीं करेगी कांग्रेस? समझिए क्यों
Kamal Nath news: क्या कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में जा रहे हैं?
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Kamal Nath news: क्या कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में जा रहे हैं? मध्य प्रदेश के साथ देश की सियासत में भी ये चर्चा बहुत तेज है. इस बीच कमलनाथ दिल्ली पहुंच चुके हैं और जब पत्रकारों ने उनसे इससे जुड़े सवाल किए तो मुस्कुराते हुए कह रहे हैं कि जो होगा सबसे पहले मीडियो को बताएंगे. वैसे एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और दिग्गत नेता दिग्विजय सिंह इस दावे पर अब भी डंटे हुए हैं कि गांधी परिवार के करीबी, यहां तक इंदिरा के तीसरे बेटे कहे जाने वाले कमलनाथ ऐसा नहीं करेंगे. पर कांग्रेस सूत्रों को ऐसा नहीं लगता. उधर नकुलनाथ ने भी अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस से जुड़ी जानकारी हटा दी है, जिसने चर्चाओं को और बल दिया है.
क्या कमलनाथ को मनाने के मूड में नहीं है कांग्रेस की टॉप लीडरशिप?
कांग्रेस सूत्रों का मानना है कि अब कमलनाथ के पाला बदलने की संभावना है. इस बीच बड़ी खबर यह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे संपर्क करने का कोई प्रयास नहीं किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्यसभा टिकट के लिए कमलनाथ को खुदकी पैरवी पर अड़े रहने वाले रवैये ने बात खराब कर दी है. कांग्रेस को लगने लगा है कि कमलनाथ को खुश करने के चक्कर में पार्टी को अबतक कुछ ज्यादा ही झुकना पड़ा है.
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इसकी एक लंबी दास्तां है. 2018 में जब कांग्रेस ने मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव जीता तो ज्योतिरादित्य सिंधिया पर कमलनाथ को तरजीह दी गई और सीएम बनाया गया. पर कमलनाथ वो सरकार भी पांच साल नहीं चला पाए. ऐसा माना गया कि ज्योतिरादित्य को लेकर उनके जिद पर अड़े रहने की वजह से सरकार गिरी.
2023 के चुनाव में भी बनाए गए पार्टी के चेहरे
इसके बावजूद पार्टी ने कमलनाथ को एक और मौका दिया. 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने उन्हें अपना चेहरा बनाया. इसके बावजूद पूरे चुनाव के दौरान कमलनाथ ने दिल्ली से भेजे गए किसी भी नेता के साथ सहयोगात्मक रूप से काम ही नहीं किया. वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को भी कमलनाथ की वजह से ही शंट किया गया, क्योंकि कमलनाथ नहीं चाहते थे कि उन्हें इंचार्ज बनाया जाए.
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जब रणदीप सुरजेवाला को एमपी का यह कार्यभार सौंपा गया तो भी चुनावों में टिकट बांटने से लेकर चुनाव प्रचार तक कमलनाथ ने किसी और की नहीं सुनी. जब राज्य के चुनाव में हार मिली, तो कमलनाथ अब चाहते थे कि उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया जाए. इसके लिए उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात भी की. यहां तक कि उनके नामांकन का समर्थन करने के लिए विधायकों तक की बैठक बुला ली. कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इतना सब कुछ होने के बाद अब शीर्ष नेतृत्व कमलनाथ को लेकर और मरौव्वत दिखाने को तैयार नहीं लगता.
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(रिपोर्ट इनपुट: मौसमी सिंह, इंडिया टुडे)
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