राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: अनुकंपा नियुक्ति से भर्ती हुई बहू को ससुर से 20,000 रुपए मंथली देने का आदेश सुनाया!

राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर अहम फैसला सुनाया है. जस्टिस फरजंद अली ने कहा कि यह नौकरी पूरे आश्रित परिवार के लिए होती है. कोर्ट ने अजमेर निगम में कार्यरत पुत्रवधू को आदेश दिया कि वह अपने वृद्ध ससुर को भरण-पोषण के लिए हर महीने 20,000 रुपए दे.

Rajasthan High Court.
Rajasthan High Court. (फाइल फोटो)
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राजस्थान हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले में अहम फैसला सुनाया है. जस्टिस फरजंद अली की बेंच ने साफ कहा कि अनुकंपा के जरिए से मिलने वाली नौकरी सिर्फ एक व्यक्ति के फायदे के लिए नहीं, बल्कि मृतक कर्मचारी के पूरे परिवार की भलाई के लिए होती है. 

कोर्ट ने इस मामले में अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL) में अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत एक बहू को आदेश दिया है कि वह अपने वृद्ध ससुर को भरण-पोषण (Maintenance) के लिए भुगतान करे.

क्या है पूरा मामला?

याचिकाकर्ता भगवान सिंह के पुत्र राजेश कुमार की सरकारी सेवा के दौरान मृत्यु हो गई थी. नियमानुसार, निगम ने भगवान सिंह को अनुकंपा नियुक्ति का प्रस्ताव दिया. लेकिन भगवान सिंह ने उदारता दिखाते हुए यह अनुरोध किया कि यह नौकरी उनके स्थान पर उनकी पुत्रवधू को दी जाए. पुत्रवधू ने नियुक्ति के समय एक शपथ पत्र भी दिया था कि वह अपने सास-ससुर के साथ रहेंगी और उनकी देखभाल करेंगी. हालांकि, कुछ समय बाद पुत्रवधू ससुराल छोड़कर अपने मायके चली गईं और भरण-पोषण की जिम्मेदारी से मुकर गईं.

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कोर्ट का अहम फैसला

हाईकोर्ट ने पाया कि अनुकंपा नियुक्ति का लाभ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि दिवंगत कर्मचारी के संपूर्ण परिवार के लिए होता है. कोर्ट ने कहा कि अगर शपथ पत्र देने के बावजूद आश्रित अपने दायित्वों को पूरा नहीं करता है तो यह अनुकंपा नियुक्ति नीति के मूल उद्देश्य के खिलाफ है.

कोर्ट ने दिया 20,000 रुपए मंथली देने का निर्देश 

इस पर सख्त रुख अपनाते हुए, हाईकोर्ट ने अजमेर विद्युत निगम को निर्देश दिया कि वह पुत्रवधू के वेतन से हर महीने 20,000 हजार रुपए की राशि काटकर याचिकाकर्ता भगवान सिंह के बैंक खाते में जमा करे. यह राशि उनके जीवनकाल तक जारी रहेगी.

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