कौन हैं तेजस्वी के ‘राइट हैंड’ संजय यादव? रोहिणी आचार्य के लालू परिवार से नाता तोड़ने के बाद जिनपर उठ रहे सवाल
बिहार चुनाव में RJD की करारी हार के बाद रोहिणी आचार्य के तीखे पोस्ट ने लालू परिवार में भूचाल ला दिया है. उनके द्वारा संजय यादव का नाम लिए जाने के बाद सवाल उठने लगे हैं कि तेजस्वी के ये राइट हैंड कौन हैं और पार्टी में इनकी क्या भूमिका है.

Sanjay Yadav RJD: बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की ऐतिहासिक जीत के बाद लालू परिवार में उथल-पुथल काफी तेज हो गई है. पार्टी को मिली करारी हार अब परिवार की कलह खुलकर सामने आने लगी है. दरअसल, लालू प्रताप यादव की लाडली बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर राजनीति छोड़ने और अपने परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है. इस दौरान उन्होंने दो नामों का जिक्र किया है. इनमें एक नाम संजय यादव का है और दूसरा नाम रमीज का है. रमीज के बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं. यहां पढ़ें...अब इस खबर में जानते हैं कि संजय यादव कौन हैं जिन्हें लेकर लालू परिवार के भीतर इतना बड़ा बवाल मचा है.
कौन हैं तेजस्वी के राइड हैंड संजय यादव?
संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले हैं. उन्हें पढ़ाई-लिखाई में बेहद तेज माना जाता है. उन्होंने कंप्यूटर साइंस में M.Sc और उसके बाद MBA किया है. उनकी पकड़ मैनेजमेंट, डेटा एनालिसिस और रणनीति बनाने में मजबूत है. राजनीति में आने से पहले वह एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत थे. संजय और तेजस्वी की दोस्ती काफी पुरानी बताई जाती है. दोनों की पहली मुलाकात दिल्ली में हुई थी. यह भी कहा जाता है कि दोनों पहले साथ में क्रिकेट भी खेला करते थे.
2012 में तेजस्वी ने उनसे राजनीतिक मामलों पर सलाह लेनी शुरू किया, इसके बाद संजय यादव की आरजेडी में सक्रियता धीरे-धीरे बढ़ती गई और उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर तेजस्वी के साथ फुल टाइम काम करने लगे. 2015 में बिहार चुनाव से ही उन्होंने पार्टी के लिए काम करना शुरू कर दिया. आज के समय में उन्हें तेजस्वी का सबसे भरोसेमंद सहयोगी यानी राइड हैंड भी कहा जाता है. आरजेडी ने संजय यादव को 2024 में राज्यसभा भेजा है.
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2025 चुनाव में संजय की थी निर्णायक भूमिका
कहा जाता है कि इस बार के विधानसभा चुनावों में संजय यादव पे पार्टी के लिए बेहद अहम बताई भूमिका निभाई. आरजेडी की रणनीति, सीट शेयरिंग से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह संजय की मौजूदगी रही. वे तेजस्वी की बैठकों और गठबंधन से बातचीत के दौरान उनके साथ ही रहे. बताया जाता है कि टिकट बांटने को लेकर भी संजय यादव का अहम रोल था. पार्टी में कई बड़े फैसले उन्हीं की सलाह के बाद लिए गए. कई नेताओं ने आरोप तक लगाया है कि संजय की सलाह के कारण ही उनके टिकट काटे गए. यही वजह है कि पार्टी के भीतर उनका विरोध होने लगा.
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