Delhi Air Pollution: दिल्ली में दिसंबर की हवा 8 साल में सबसे खराब, GRAP-IV का नहीं दिखा कोई असर

दिसंबर 2024 में दिल्ली की हवा बीते आठ सालों में सबसे ज्यादा जहरीली रही, जहां AQI लंबे समय तक ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना रहा और 14 दिसंबर को 461 तक पहुंच गया. GRAP-IV जैसे सख्त कदमों के बावजूद प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सका, जिससे साफ है कि दिल्ली में स्थायी समाधान के बिना लोगों की सेहत पर खतरा बना रहेगा.

दिल्ली की दमघोटूं हवा
दिल्ली की दमघोटूं हवा
social share
google news

दिल्ली में दिसंबर की ठंड के साथ इस बार जहरीली हवा ने भी लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं. हालात ऐसे बन गए हैं कि राजधानी में सांस लेना भी चुनौती जैसा महसूस हो रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि दिसंबर 2024 की शुरुआत से ही दिल्ली की हवा लगातार खराब बनी हुई है और पहले 18 दिनों में ही इसने बीते आठ सालों का सबसे खराब रिकॉर्ड तोड़ दिया है. महीने की शुरुआत से ही हालात ऐसे रहे कि ज्यादातर दिनों में हवा 'बहुत खराब' से 'गंभीर' श्रेणी में बनी रही.

दिसंबर के पहले आठ दिनों तक लगातार AQI 300 से ऊपर रहा जिससे पूरे महीने का औसत AQI करीब 343 तक पहुंच गया. हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 14 दिसंबर को AQI 461 दर्ज किया गया जो बीते आठ सालों में दिसंबर महीने का सबसे ऊंचा स्तर है. हवा के बिगड़ते हालात को देखते हुए 13 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का सबसे सख्त चरण, यानी स्टेज-IV लागू करना पड़ा.

Delhi AQI in December 1st

यह भी पढ़ें...

कचरा और बायोमास जलाने पर रोक

GRAP-IV के तहत दिल्ली में निर्माण और तोड़फोड़ के काम पूरी तरह बंद कर दिए गए खुले में कचरा और बायोमास जलाने पर रोक लगाई गई, दूसरे राज्यों में रजीस्टर्ड गैर-BS VI वाहनों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया गया और बिना वैध पॉल्यूशन सर्टिफिकेट वाले गीड़ियों को पेट्रोल न देने के निर्देश दिए गए है. इसके अलावा सरकारी और निजी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम भी अनिवार्य किया गया. हालांकि, सख्त नियमों के बावजूद जमीनी स्तर पर इसका असर सीमित ही नजर आया.

आजतक की ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) टीम के विश्लेषण में एक और चिंताजनक तस्वीर सामने आई. नासा के FIRMS सैटेलाइट डेटा के मुताबिक 13 से 19 दिसंबर के बीच दिल्ली और एनसीआर में लगातार आग की घटनाएं दर्ज की गईं. ये आग पराली, लैंडफिल साइट्स और खुले इलाकों में जलते कचरे से जुड़ी थीं. ग्राउंड रिपोर्ट में भी दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गाजियाबाद, बागपत, खेकड़ा और खरखौदा जैसे इलाकों में खुले में आग जलती हुई पाई गई.

Delhi AQI in December 2nd

दिल्ली की भौगोलिक बनावट 

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली की भौगोलिक बनावट भी प्रदूषण को और खतरनाक बना देती है. कटोरे जैसी संरचना के कारण प्रदूषक हवा में फंस जाते हैं और हरियाणा व उत्तर प्रदेश से आने वाला धुआं भी राजधानी की हवा में घुलकर हालात बिगाड़ देता है. यही कारण है कि केवल राजधानी में लागू किए गए उपाय काफी नहीं साबित होते.

CPCB के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि GRAP-IV लागू होने के बाद भी हवा में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂), पीएम2.5 और कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) के स्तर में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई. हैरानी की बात यह है कि 14 दिसंबर को यानी GRAP-IV लागू होने के अगले ही दिन प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच गया.

Delhi AQI in December 3rd

सैटेलाइट डेटा यह भी दिखाता है कि नवंबर से दिसंबर तक दिल्ली के कई इलाकों में NO₂ का स्तर लगातार ऊंचा बना रहा. साफ है कि प्रदूषण पर काबू पाने के लिए केवल आपातकालीन कदम या मौसम के बदलने का इंतजार काफी नहीं है. विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक प्रदूषण के मूल स्रोतों पर स्थायी और सख्त कार्रवाई नहीं होगी, तब तक दिल्ली की हवा यूं ही लोगों की सेहत से खिलवाड़ करती रहेगी.

ये भी पढ़ें: Delhi Weather Update: घने कोहरे की चादर में लिपटी दिल्ली, लगातार बढ़ रही ठंड और प्रदूषण ने बढ़ाई लोगों की परेशानी, जानें आज का मौसम

    follow on google news