जगदीशपुर: नाम बदलने के जश्न में पहुंचे CM शिवराज, बोले- ‘जहां बर्बरता, कत्लेआम हुआ, उनका नाम…’
Islamnagar now Jagdishpur: मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंगलवार को शाम जगदीशपुर में नाम बदले जाने के उपलक्ष्य में आयोजित जश्न शरीक हुए. कुछ दिनों पहले इस्लामनगर का नाम बदलकर पुराने नाम पर जगदीशपुर कर दिया गया था. सीएम शिवराज ने ऐतिहासिक महत्व के इस गांव के जश्न में पहुंचे शिलापट के जरिए नए नाम की पहचान […]
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Islamnagar now Jagdishpur: मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान मंगलवार को शाम जगदीशपुर में नाम बदले जाने के उपलक्ष्य में आयोजित जश्न शरीक हुए. कुछ दिनों पहले इस्लामनगर का नाम बदलकर पुराने नाम पर जगदीशपुर कर दिया गया था. सीएम शिवराज ने ऐतिहासिक महत्व के इस गांव के जश्न में पहुंचे शिलापट के जरिए नए नाम की पहचान उस गांव को दे दी. शिवराज ने सामने बैठे लोगों से सवाल के अंदाज में कहा- ‘जहां बर्बरता, अन्याय, कत्लेआम हुआ, ऐसे नामों को बदला जाना चाहिए कि नहीं? इसलिए नाम बदला गया.’
सीएम ने कहा- ‘अब जगदीशपुर का पुराना वैभव फिर लौटेगा. यहां कलेक्टर कमिश्वर, सांसद, विधायक हैं, इस गांव का मास्टर प्लान बनाओ. जगदीशपुर को ऐसा गांव बनाएंगे कि लोग देखते रह जाएंगे. इसके लिए चाहे तो कंसल्टेंट हायर करो. ये ऐतिहासिक गांव है. तथ्यों को एकत्रित करिए, जहां कत्लेआम किया गया वहां राजाओं का स्मारक बनाया जाएगा.”
इस्लामनगर अब जगदीशपुर: मना जश्न
भोपाल से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव इस्लामनगर का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया गया है. ऐतिहासिक महत्व के इस गांव में आज नाम परिवर्तन के बाद जश्न मनाया जा रहा है. सीएम शिवराज इस मौके पर हुए कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे. 308 साल बाद फिर जगदीशपुर नाम रखने पर सीएम शिवराजसिंह चौहान ने रिमोट का बटन दबाकर नाम शिलापट्टिका का अनावरण किया. इसके बाद सीएम ने 26 करोड़ 71 लाख की लागत के विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण किया. कार्यक्रम में भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, विधायक विष्णु खत्री, जिला पंचायत अध्यक्ष रामकुंवर नौरंग गुर्जर भी मौजूद रहे.
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सीएम ने कहा- इस वजह से बदला गया नाम, आगे भी बदलेंगे
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस्लामनगर का बर्बर इतिहास सुनाया, कहा- ‘आज मन आनंद और प्रसन्नता से भरा हुआ है. 308 साल पहले जो अन्याय और बर्बरता हुई थी. वो हमारे देश के लोगों ने नहीं की थी, एक अफगान ने की थी. भारत की माटी में पैदा होने वाला हिन्दुस्तानी नहीं अफगानी था. औरंगजेब की फौज में था. औरंगजेब के निधन के बाद वो हमारे क्षेत्र के मंगलगढ में आया. ये जगदीशपुर राजपूतों ने बसाया था. 1715 के पहले यहां के शासक थे राजा नरसिंह देव थे. पूरे भोपाल में उनका दबदबा था. वो अपना शासन चला रहे थे जनता की सेवा में लगे थे. यहां का किला अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाता था.’
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छल से बदला गया नाम और जीता गया किला: सीएम
सीएम ने कहा फिर हुआ ये कि मुगल शासक औरंगजेब के एक भगोडे सैनिक दोस्त मोहम्मद खान जगदीशपुर आया. पहले उसने हमला किया लेकिन बुरी तरह शिकस्त खाई. इसके बाद उसने दोस्ती की पहल की. यहां जगदीशपुर में दोस्ती की खातिर उसका स्वागत कराकर भोज दिया गया. उसके बाद यहां के राजा नरसिंह देवडा जी न्योता मिलने पर उसके यहां गए. नदी के किनारे दोस्ती की खातिर भोज में गए. रात में जो दावत दी गई उसके तंबुओं में वे भोजन कर रहे थे टेंट की रस्सियां काट दी गईं. तंबू ऊपर गिरे जो लोग बाहर निकले उनको दोस्त मोहम्मद के सैनिकों ने काट डाला. हमारे कई सरदार काटे गए.’
इसलिए डैम का नाम पड़ गया हलाली
सीएम शिवराज ने बताया कि कहा जाता है कि इतना कत्लेआम हुआ कि नदी का पानी लाल हो गया. इसी लिए इस डैम का नाम हलाली पड़ गया. जब रानियों को ये पता चला तो उन्होंने जल जौहर करके अपनी जीवनलीला खत्म कर ली. छल से इस गांव का नाम बदला गया. आजादी के 75 साल बाद हम इसका नाम जगदीशपुर कर पाए.
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