ओलंपियन मनु भाकर के साथ ऐसा क्या हुआ कि इतना हंगामा कट गया, जानें पुरस्कार को लेकर क्या है विवाद

रूपक प्रियदर्शी

मनु भाकर ने अगस्त-सितंबर महीने में पेरिस ओलिंपिक गेम्स में डबल ओलिंपिक मेडल जीते. उन्हीं के जीते दोनों ब्रॉन्ज मेडल के दम पर भारत के हिस्से में 6 मेडल आए.

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तस्वीर: इंडिया टुडे.
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भारत रत्न, पद्म पुरस्कार किसी भी फील्ड की जानी-मानी हस्ती को मिल सकता है. खेल रत्न पुरस्कार सिर्फ उनको मिलता है जिन्होंने खेल की दुनिया में देश का नाम ऊंचा किया हो. मोदी सरकार खेल रत्न पुरस्कार देने की तैयारी कर रही है. किसको मिलेगा, ये तो पता नहीं, लेकिन किन-किन को मिल सकता है, इसकी लिस्ट आते ही हल्ला मचने लगा. भयंकर विवाद चल रहा है. विवाद के सेंटर में हैं भारतीय शूटर मनु भाकर. जो नाम शार्ट लिस्ट हुए हैं उसमें मनु भाकर का नाम नहीं है. जी हां वही मनु भाकर जिन्होंने ओलंपिक में देश का नाम रौशन किया है. 

बहुत पुरानी बात नहीं है कि किसी को याद न रहा हो कि मनु भाकर कौन हैं और उन्होंने क्या किया. मनु भाकर ने अगस्त-सितंबर महीने में पेरिस ओलिंपिक गेम्स में डबल ओलिंपिक मेडल जीते. उन्हीं के जीते दोनों ब्रॉन्ज मेडल के दम पर भारत के हिस्से में 6 मेडल आए. आजादी के बाद ओलंपिक में ऐसा करिश्मा करने वाली मनु पहली एथलीट बनीं. फिर भी खेल रत्न पुरस्कार बंटने की बारी आई तो मनु भाकर को शॉर्ट लिस्ट नहीं किया गया. कहा जा रहा है कि मनु भाकर का नाम भेजने की जिम्मेदारी नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की थी जिसने मनु का नाम खेल रत्न के लिए नहीं भेजा. 

ये है पूरा मामला 

पूरा मामला 22 साल की चैम्पियन मनु भाकर की उपेक्षा का नहीं, अपमान का बन रहा है.  मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर ने खुलकर नाराजगी जताई है. इतने निराश हुए कि कह दिया कि देश क्रिकेटरों को छोड़कर हर तरह के एथलीट को अनदेखा कर देता है. मुझे उसे शूटिंग के खेल में डालने का अफसोस है. मुझे उसे क्रिकेटर बनाना चाहिए था.  पहले तो मनु भी चुप रहीं. अब उन्होंने भी चुप्पी तोड़ दी. गुस्सा तो नहीं जताया. बस इतना कहा कि मुझे ओलंपिक में नहीं जाना चाहिए था. देश के लिए पदक नहीं जीतना चाहिए था. मुझे खिलाड़ी ही नहीं बनना चाहिए था.

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मनु ने किया था आवेदन? 

अलग विवाद ये शुरू है कि अगर नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने नाम नहीं भेजा तो क्या खुद मनु भाकर ने भी ऑनलाइन आवेदन नहीं किया था? पिता राम किशन भाकर दावा कर रहे हैं कि मनु ने खुद आवेदन किया था, लेकिन लेकिन नजरअंदाज किया गया. मनु भाकर खुद दो-तीन साल से लगातार खेल रत्न, पद्मश्री, पद्म भूषण जैसे सम्मानों के लिए आवेदन कर रही हैं, लेकिन उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला. टोक्यो से पेरिस ओलंपिक के बीच चार साल में अलग-अलग इंटरनेशनल मुकाबलों में मनु भाकर ने शूटिंग में कुल मिलाकर 17 मेडल जीते. मेडल तो ढेरों मिलते गए, लेकिन सरकारी सम्मान एक भी नसीब नहीं हुआ. 

क्या हैं खेल रत्न पुरस्कार के नियम? 

खेल रत्न पुरस्कार के नियम ऐसे हैं कि अगर खिलाड़ी खेल रत्न की गाइडलाइंस को पूरा करता हो तो वो खुद ही अपना नाम भेज सकता है. खेल मंत्रालय के पास भी ऐसे 2 नाम भेजने के अधिकार होते हैं. मनु भाकर का केस इतना वायरल है कि सरकार में हड़कंप मचा है. दावा किया जा रहा है कि खेल मंत्रालय खुद मनु भाकर को नॉमिनेट करने वाला है. अभी नाम तय नहीं हैं. एक हफ्ते में पुरस्कारों का खुलासा हो सकता है. कुल मिलाकर कहानी ये है कि इतनी बड़ी खिलाड़ी को आड़े-तिरछे रास्ते से लिस्ट में लाने की बात हो रही है. तब भी मनु भाकर खेल रत्न बन पाएंगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है. ऐसी रिपोर्ट है कि पेरिस ओलंपिक से ही पुरुष हॉकी टीम के हरमनप्रीत सिंह ही अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका नाम शॉर्टलिस्ट हुआ है.

पेरिस से लौटते ही राहुल गांधी से मिलीं भाकर 

पेरिस ओलंपिक से मनु भाकर अलग-अलग कारणों से चर्चा में रही हैं. पहले तो उन्होंने ओलंपिक में डबल धमाका किया. पेरिस से जैसे ही भारत लौटीं सीधे पाईं गईं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घर. पिछले कुछ साल से परम्परा रही है कि दुनिया में नाम कमाने वाले खिलाड़ी देश लौटते ही सबसे पहले पीएम मोदी के घर पाए जाते हैं. मनु भाकर सोनिया, राहुल के घर देखी गईं. सोनिया, राहुल के साथ मनु भाकर की यही फोटोग्राफ शेयर करके सोशल मीडिया पर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या मनु भाकर को कोई सजा मिली है? रणदीप सुरजेवाला जैसे कांग्रेस के नेता भी मनु भाकर के साथ हो रही नाइंसाफी के लिए आवाज उठा रहे हैं. 

PM मोदी से भी हुई थी मुलाकात 

मनु भाकर की पीएम मोदी से मुलाकात 15 अगस्त के जलसे के वक्त हुई. ओलंपिक मेडलिस्ट पीएम के घर मिले थे. मनु भाकर ने पीएम को अपनी पिस्टल दिखाई. लाल किले पर झंडा फहराया गया तो सारे खिलाड़ी मेहमान बनकर पहुंचे थे. मेडल जीतने पर पीएम मोदी ने पेरिस फोन करके मनु से बात करके बधाई दी थी.

मनु ने जीत का क्रेडिट किसे दिया था? 

मनु भाकर तब भी वायरल हुई थीं जब उन्होंने मेडल जीतने का क्रेडिट भगवदगीता को दिया. उन्होंने कहा था कि मैं रोज गीता पढ़ती थी. जब मैं फाइनल मैच के दौरान निशाना लगा रही थी तब मेरे दिमाग में गीता चल रही थी.  गीता में कहा गया है- परिणाम नहीं अपने कर्म पर फ़ोकस करें, तो मैंने वही सोचकर निशाना लगाया. मनु भाकर मेडल जीतने का कर्म कर चुकी हैं. देश के सरकारी सम्मान यानी फल की चिंता करने लगी तो इतना बड़ा झटका लग गया. 

पहले भी खेल रत्न पुरस्कार को लेकर रहे हैं विवाद 

जिस खेल रत्न पुरस्कार को लेकर इतना हंगामा मच रहा है उसको लेकर भी विवाद कम नहीं रहा है. खेल रत्न पुरस्कार कांग्रेस की सरकार ने 1992-93 में शुरू किया था. तब से राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार कहलाता था. इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी शतरंज ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद बने. फिर  अभिनव बिंद्रा और सचिन तेंदुलकर भी खेल रत्न बने. मोदी सरकार ने 2021 में राजीव गांधी का नाम हटाकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया. मेजर ध्यानचंद को भारतीय हॉकी के जादूगर कहा जाता है.

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