पीएम मोदी ने समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम से क्यों किया प्रचार का आगाज? समझें इसके पीछे की पूरी रणनीति
Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्तीपुर के कर्पूरी ग्राम से की. कर्पूरी ठाकुर के गांव से प्रचार शुरू कर पीएम मोदी ने EBC यानी अत्यंत पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने की रणनीति बनाई है. जानिए क्यों इस जगह को बीजेपी के चुनावी अभियान के लिए चुना गया और इसके पीछे की पूरी सियासी गणित क्या है.

Bihar Chunav Latest Updates:बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से लेकर वापस लेने तक की सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. अब हर राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों में जुट चुका है और प्रचार-प्रसार पर जोर देना शुरू कर दिया है. NDA को चुनाव में जीत दिलाने के लिए बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भी मैदान में उतर चुका है.
जेपी नड्डा, अमित शाह के बाद अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी में रण उतर चुकें है और समस्तीपुर जिले के कर्पूरी ग्राम से अभियान का आगाज कर दिया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर पीएम मोदी ने इसी जगह को प्रचार के आगाज के लिए क्यों चुना है? आइए जानते है इस सवाल का जवाब और साथ ही कर्पूरी ग्राम का समीकरण.
कर्पूरी ग्राम से ही पीएम ने क्यों किया प्रचार का आगाज?
समस्तीपुर जिले का कर्पूरी ग्राम एक सामान्य गांव ही नहीं बल्कि भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर का गांव है. कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार के मुख्यमंत्री रहे और वे एक प्रख्यात समाजवादी नेता थे. कर्पूरी ठाकुर ने जिंदगी भर दलितों, पिछड़ों और अत्यंत पिछड़े वर्गों(EBC) के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और जननायक में रूप में जाने जाते हैं. पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण के साथ-साथ उनकी नीतियों का राज्य पर गहरा प्रभाव भी पड़ा है. आज पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर की स्मृति स्थल पर फूलमाला चढ़ाया और श्रद्धांजलि भी दिया.
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आपको बता दें कि इसी साल कर्पूरी ठाकुर को सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्म से सम्मानित किया गया था और पीएम के इस जगह से अभियान शुरू करने के पीछे राजनीतिक रणनीति और प्रतीकात्मक महत्व जुड़ा हुआ है.
कर्पूरी ग्राम का समीकरण?
पीएम मोदी कर्पूरी ग्राम से चुनाव प्रचार का आगाज करके यहां दलित, पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने की पुरजोर कोशिश करेंगे. बिहार की आबादी में EBC वर्ग(अत्यंत पिछड़ा वर्ग) करीब 30 से 35 प्रतिशत है, जो कि लगभग 100 से अधिक छोटी जातियों से मिला हुआ है. और कर्पूरी ठाकुर इनके लिए सबसे बड़ा प्रतीक है. इसलिए एनडीए इस वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खुद को कर्पूरी ठाकुर की विरासत के असली वारिस के रूप में पेश कर रहा है, ताकि उन्हें उनका साथ मिले और चुनाव जीतने में उन्हें आसानी हो.
- कायस्थ, ब्राह्मण और भूमिहार (ऊंची जातियां): 10–15%
- यादव समुदाय (OBC): लगभग 25–30%
- कुशवाहा, पासवान, तेली, नाई, धानुक (EBC/OBC): 35–40%
- दलित समुदाय (मुसहर, चमार आदि): 10–12%
- मुस्लिम आबादी: लगभग 8–10%
पीएम ने पहले ही बना दिया माहौल
बिहार में चुनावी अभियान की शुरुआत करने से पहले बीते कल पीएम मोदी ने दिल्ली से ही माहौल बना दिया. उन्होंने वर्चुअल माध्यम से 'बुजुर्गों से संवाद' और 'रन फॉर बिहार यूनिटी' जैसे कार्यक्रमों से पार्टी से विकास, विरासत और एकता पर फोकस करते हुए अभियान का टोन सेट कर दिया. पीएम ने आरजेडी के शासनकाल और जंगलराज पर निशाना साधते हुए अपनी स्ट्रैटेजी भी साफ कर दी है.
पीएम ने कहा कि बिहार में जंगलराज को लोग अगले 100 सालों तक भी नहीं भूलेंगे चाहे विपक्ष कितनी भी झूठों को छिपा ले. उन्होंने आगे कहा कि, मैं चाहता हूं कि युवा हर बूथ पर मतदाताओं को इकट्ठा करें और वहां मौजूद लोगों को जंगलराज के बारे में सब बताएं.
महागठबंधन भी साध रहा EBC वर्ग
एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन भी विधानसभा चुनाव के लिए EBC वोट बैंक को साधने में जुटा हुआ है. सबको पता हैं कि EBC वर्ग एनडीए(खासतौर पर जदयू) का मजबूत बेस रहा है, इसलिए महागठबंधन इसमें सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है. महागठबंधन ने मुकेश सहनी को अपने में मिलाकर और उन्हें डिप्टी सीएम पद देकर निषाद-मल्लाह समुदाय का वोट बैंक अपने लिए मजबूत कर रहा हैं.










