सोने-चांदी में और आएगा उछाल या शेयर मार्केट देगा तगड़ा रिटर्न, संवत 2082 में क्या होगा? जानें हिसाब-किताब में
अपने साप्ताहिक कार्यक्रम 'हिसाब-किताब' शो में इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने बताया कि नए विक्रमी संवत 2082 में किसमें होगी सबसे ज्यादा कमाई- गोल्ड-सिल्वर या इक्विटी?

पिछले साल सोना और चांदी चमक गया, लेकिन शेयर बाजार नहीं चमका. सवाल ये है कि सोना क्यों चमका? यहां पिछले साल का मतलब पिछला विक्रमी संवत है जो इस दिवाली तक चला है. अब नया विक्रमी संवत यानी 2082 शुरू हो गया है. पिछला सोने-चांदी के लिए ऐतिहासिक साल रहा है. इस वर्ष सोने-चांदी के रेट के कई रिकॉर्ड तोड़े और नए कीर्तिमान बना दिए.
इंडिया टुडे ग्रुप के तक चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर के खास साप्ताहिक कार्यक्रम हिसाब-किताब के जरिए हम इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि दिवाली के अगले दिन से शुरू हुए नए साल (विक्रमी संवत) में सोने-चांदी की चाल कैसी रहने वाली है.
भारतीय कैलेंडर से चलता है व्यापार
चूंकि दिवाली के बाद नया विक्रमी संवत यानी नया साल शुरू हो रहा है. विक्रमी संवत एक भारतीय कैलेंडर है. जैसे हम अंग्रेजी कैलेंडर में जनवरी से दिसंबर तक का साल मानते हैं वैसे ही नया विक्रम संवत शुरू होता है दिवाली के बाद से. अब 2082 विक्रमी संवत शुरू होने जा रहा है जो अग्रेजी कैलेंडर से 57 साल आगे है. व्यापार में यही कैलेंडर लागू होता है. व्यापारी और कारोबारी लोग इसी की पूजा करते हैं. इसी को अपना मानक मानते हैं.
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सोने के भाव बढ़ने के 3 बड़े कारण
पहला कारण: पूरी दुनिया में युद्ध को लेकर अनिश्चितता सोने की महंगाई का कारण बनी. चाहे वो इजराइल हो, फिलिस्तीन का युद्ध हो या यूक्रेन और रूस का युद्ध हो. युद्ध की अनिश्चितता के बीच में अमेरिकी में के राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप उन्होंने टैरिफ लगा दिया. इससे सोने में निवेश हुआ तो सोने की मांग बढ़ी.
दूसरा कारण: एक दुनिया भर के सेंट्रल बैंक ने भी डॉलर की बजाय सोना खरीदना मुनासिब समझा. सोने में निवेश किया तो सोने की मांग बढ़ी.
तीसरा कारण: पूरी दुनिया में इंटरेस्ट रेट कम हो रहे हैं. जब इंटरेस्ट रेट कम हो जाते हैं तो सोना आकर्षक बन जाता है, क्योंकि जब आपको निवेश पर ब्याज का रिटर्न कम मिलने लगता है तो उस वक्त सोना एक बेहतर ऑप्शन माना जाता है.
अब अगले साल क्या होगा?
इन तीन कारणों से पिछले साल भर में करीब 62-63 फीसदी तक सोने के दाम बढ़ गए हैं. अब सवाल यह है कि अगले साल (विक्रमी संवत) क्या होगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि जो रफ्तार आपने पिछले साल देखी वो दोबारा इस साल नहीं देखने मिलेगा.
मोतीलाल ओसवाल की यह रिपोर्ट: 5 से 10% तक रिटर्न मिल सकता है. मतलब मॉडरेट रिटर्न होगा. अगर बढ़ेगा भी तो वह 10-12% की रेंज में जाकर रुक जाएगा. यानी सोने की उतनी चमक नहीं रहेगी जितनी चमक पिछले साल हमको देखने मिली थी.
चांदी की रफ्तार थमेगी या जाएगी 2 लाख पार?
अब आते हैं चांदी पर. चांदी के भी तेजी के वही तीन कारण हैं जो सोने पर लागू होते हैं. लेकिन इनके अलावा एक और बढ़ा कारण है जोे चांदी में तेजी के लिए जिम्मेदार है. वो है इंडस्ट्रियल यूज, मतलब ईवी के सेमीकंडक्टर्स और सोलर एनर्जी के लिए बन रहे पैनल्स में चांदी की खपत बढ़ी है. चांदी की मांग जिस हिसाब से बढ़ी है उस हिसाब प्रोडक्शन नहीं हो रहा है. इसलिए चांदी में 72 से 73 फीसदी तक का बड़ा उछाल देखने को मिला है.
एमके सिक्योरिटीज: इनका अनुमान है कि यह तेजी अगले साल भी बनी रहेगी. 20 फीसदी तक इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. मतलब सोने से ज्यादा चमकेगी चांदी.
शेयर बाजार का क्या होगा?
अब बात करते हैं शेयर बाजार की. पिछले साल भी यानी 23-24 वाले संवत के हिसाब-किताब की सीरीज में बताया गया था कि स्टॉक मार्केट ने या निफ्टी ने करीब 24% का रिटर्न दिया था. ये रिटर्न दिवाली के दिन खत्म हुए 2081 विक्रमी संवत में घटकर 6 फीसदी रह गया है. न्यूज लेटर और हिसाब-किताब दोनों में कहा गया था कि इस बार का रिटर्न पिछली बार की तरह नहीं होगा. सिंगल डिजिट में रिटर्न मिलेगा और सिंगल डिजिट में ही मिला है.
ऐसा क्यों हुआ?
इसका एक कारण यह रहा कि जो इकोनमी की रफ्तार धीमी पड़ी थी, सुस्ती थी, कंजंप्शन नहीं हो रहा था, महंगाई भी थी तो उन सबके चलते कंपनियों की कमाई कम हुई. कंपनियों की कमाई कम हुई का मतलब उनकी ग्रोथ में कमी देखी गई. इसका कारण यह बना कि शेयरों PE रेशो है या उनकी जो अर्निंग रेशो है...यानी शेयर महंगे हो गए.
शेयर महंगे हुए फिर भी नहीं गिरा बाजार
जब शेयर महंगे हो गए तब भी बाजार गिरा नहीं, क्योंकि जो आप और हम SIP कर रहे हैं शेयर बाजार में जो पैसे डाल रहे हैं उसके जरिए बाजार ने होल्ड कर लिया. उससे शेयरों की कीमत 4- 5% बढ़ गई, लेकिन एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स यानी कि विदेशी निवेशक इन्होंने इस बार अपने हाथ खींच लिए. अभी भी वो संभल-संभल कर बाजार में आ रहे हैं, क्योंकि उनको लगता है कि बाकी दुनिया के मुकाबले भारत के शेयर बाजार में जो शेयरों की कीमत है वह ज्यादा है इसलिए वे बचते रहे हैं.
अब अगले संवत में क्या होगा?
सवाल ये है कि जो संवत आज यानी 21 अक्टूबर से शुरू हुआ है उसमें शेयर बाजार का क्या होगा? विशेषज्ञों की मानें तो अगले साल शेयर बाजार में बेहतर की उम्मीद है. इसके पीछे कारण है टैरिफ जो अमेरिका ने लगाया है. उसके बाद भारत सरकार ने भी जो अपने रिफॉर्म्स में तेजी लाई है. जैसे जीएसटी की दर में स्लैब घटाए गए हैं. रेट भी कम किए गए हैं. इससे कंजम्शन को एक बूस्ट मिलने की उम्मीद है.
सवाल ये है कि GST कम होने से घाटा हुआ है या मुनाफा. इसके आंकड़े आना बाकी है. इनकम टैक्स में भी छूट दी गई है. इन सारी चीजों का लाभ आने वाले सालों में मिलने की उम्मीद है. इसमें एक पेंच फिर भी फंसा हुआ है और वो है टेरिफ का पेंच. क्योंकि जितनी जल्दी भारत और अमेरिका में अगर ट्रेड डील होगी उतनी ही जल्दी बाजार को बूस्ट मिलेगा. ऐसे संकेत लगातार मिलते रहते हैं कि यह डील जल्दी ही होगी.
टैरिफ का पेंच सुलझा जो बाजार में आएगा उछाल?
सरकार के आर्थिक सलाहकार कह चुके हैं कि अगर भारत-अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर ट्रेड डील मार्च के बाद जाकर सलझेगा तो इकोनॉमी मुश्किल में आ जाएगी. अगर हमारा एक्सपोर्ट अमेरिका में कम होता गया तो उम्मीद किया जा रहा है कि टैरिफ का मामला जल्द सुलझ जाएगा. उससे बाजार को एक राहत मिलेगी
अलग-अलग जानकारों का अनुमान है कि या तो यह सिंगल डिजिट में रहेगा या अर्ली टीस में रहेगा. मतलब 8 से 12% तक आपको रिटर्न शेयर बाजार में मिल सकता है.
निष्कर्ष:
चांदी और महंगी होगी, लेकिन उतनी नहीं जितना पिछले साल थी. सोना थोड़ा कम चमकेगा. शेयर बाजार के लिए आने वाला साल बेहतर रहेगा, लेकिन बेहतर होने का मतलब यह नहीं है कि वो छप्परफाड़ कमाई देगा. ये रिटर्न 10-12% की रेंज में रहने की उम्मीद है.
यहां देखें हिसाब-किताब का वीडियो
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