ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने वाली धमकी का भारत ने दिया सटीक और सख्त जवाब, पूछा- खुद क्यों खरीदते हो रूसी माल?
ट्रंप के रूस से तेल खरीदने वाले आरोप पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 6 प्वांइट के साथ एक आधिकारिक बयान जारी किया है.
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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही रूस से तेल खरीदने पर भारत पर ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी दी है. हालांकि इस बार भारत भी चुप नहीं रहा. ट्रंप की इस धमकी पर भारत की तरफ से सख्त प्रतिक्रिया सामने आई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस तरह के बयान को अनुचित और बिना तर्क बताते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया है जिसमें भारत ने छह अहम पॉइंट्स में अपना पक्ष रखा और ट्रंप के आरोपों का जवाब दिया है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि आखिर ट्रैरिफ का ये पूरा मामला क्या है और भारत धमकी पर भारत के जवाब में कितना दम है
क्या है मामला
दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा था, 'भारत न सिर्फ रूस से बड़ी मात्रा में तेल ले रहा है, बल्कि उसे बेचकर मुनाफा भी कमा रहा है. भारत को परवाह नहीं है कि रूस के साथ चल रहे इस युद्ध में यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं. इसलिए, मैं भारत पर टैरिफ़ बढ़ाने जा रहा हूं."
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भारत ने क्या कहा?
ट्रंप के इस आरोप पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 6 प्वांइट के साथ एक आधिकारिक बयान जारी किया है. इस बयान में भारत सरकार हर उस सवाल का जवाब दे रहे हैं जिसे लेकर ट्रंप बार बार भारत को धमका रहे थे.
क्या है वो 6 प्वाइंटर
1. भारत ने अपने स्टेटमेंट के पहले प्वाइंटर में बताया कि जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत हुई थी, उस वक्त पारंपरिक तेल स्पलाई यूरोप की ओर मुड़ गई थीं. ऐसे में भारत के पास रूस से तेल खरीदने के अलावा कोई और सस्ता विकल्प नहीं था. उस वक्त खुद अमेरिका ने भारत के इस फैसले का समर्थन किया था.
2. भारत ने बताया कि उसने रूस इसलिए भी तेल लेना शुरू किया था ताकि भारत के आम जनता को सस्ती और स्थिर कीमतों पर पेट्रोल-डीज़ल मिल सके. देश के लोगों के लिए ये एक जरूरी कदम था, जबकि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वो खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं लेकिन उनके लिए ये कोई मजबूरी नहीं है.
3. भारत ने स्टेटमेंट में बताया कि सिर्फ उनका देश ही नहीं बल्कि खुद यूरोप भी रूस के साथ भारी व्यापार करता रहा है. जारी किए गए स्टेटमेंट के अनुसार साल 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस से 67.5 अरब यूरो का सामान मंगवाया था वहीं और 17.2 अरब यूरो की सेवाएं लीं. सिर्फ इतना ही नहीं भारत ने ये भी बताया कि यूरोप ने साल 2024 में रूस से रिकॉर्ड 1.65 करोड़ टन LNG भी खरीदा था.
4. तेल के अलावा और भी बहुत कुछ खरीदता है ये देश. स्टेटमेंट के चौथे प्वाइंटर में बताया गया है कि यूरोप ने रूस के साथ ऊर्जा, उर्वरक, रसायन, मशीनरी और इस्पात जैसे कई क्षेत्रों में भी जमकर व्यापार किया है.
5. अमेरिका भी पीछे नहीं. भारत ने ये भी कहा कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, पैलेडियम (जो इलेक्ट्रिक वाहनों में काम आता है), और उर्वरक व रसायन अब भी मंगवा रहा है.
6. आखिरी प्वाइंट में भारत ने साफ किया कि अभी भी कई देश हैं जो खुलेआम रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं. इस सबके बावजूद अगर भारत को ही निशाना बनाया जा रहा है, तो ये एकतरफा और गलत है. भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों और लोगों की भलाई को ध्यान में रखते हुए फैसले करता रहेगा.
ट्रंप की धमकी पर भारत के जवाब में कितना दम
इस सवाल के जवाब में सामरिक मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि ट्रंप की नीतियां हमेशा से ही उलझन भरी और कठोर होती हैं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ट्रंप की धमकियों ने भारत को मजबूर कर दिया है कि वो पश्चिमी देशों की दोहरी नीति को सामने लाए.
उन्होंने कहा भारत से कहीं ज्यादा पश्चिम के देश रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, लेकिन आलोचना सिर्फ भारत की होती है. जबकि वही देश यूक्रेन में रूस के खिलाफ लड़ाई का समर्थन भी कर रहे हैं.
भारत और अमेरिका के बीच कितना व्यापार होता है?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत और अमेरिका के बीच का व्यापार काफी मजबूत और महत्वपूर्ण है. साल 2024-25 में इन दोनों देशों के बीच कुल 131.84 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ.
भारत ने अमेरिका को 86.51 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जिसमें प्रमुख वस्तुएं थीं- फार्मा प्रोडक्ट्स ($8.1 बिलियन), टेलीकॉम उपकरण ($6.5 बिलियन), हीरे और कीमती पत्थर ($5.3 बिलियन), पेट्रोलियम उत्पाद ($4.1 बिलियन), सोना व आभूषण ($3.2 बिलियन), रेडीमेड कपड़े ($2.8 बिलियन), और लोहा-स्टील ($2.7 बिलियन).
वहीं, इन सालों में अमेरिका से भारत ने $45.33 बिलियन का आयात किया. इसमें ज्यादातर मैन्युफैक्चर्ड वस्तुएं थीं, जिनका कुल मूल्य लगभग $42 बिलियन रहा. इस व्यापार में $41.18 बिलियन का संतुलन भारत के पक्ष में है, यानी भारत का निर्यात ज्यादा है.
बता दें कि पिछले चार सालों से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. वहीं अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा निवेशक भी है, जिसने 2002 से अब तक $68 बिलियन से ज़्यादा का विदेशी निवेश (FDI) किया है.
अमेरिका के 25% टैरिफ का भारत के इन सामानों पर होगा असर
अमेरिका के संभावित 25% टैरिफ का भारत के प्रमुख उद्योगों पर असर:
स्मार्टफोन (iPhone असेंबली सहित)
- भारत ने FY 2025 में अमेरिका को $24.1 बिलियन के स्मार्टफोन निर्यात किए.
- 25% टैरिफ से भारत में असेंबल किए गए iPhones की कीमतें बढ़ सकती हैं और निर्यात घट सकता है.
फार्मा (दवाइयाँ और जेनेरिक उत्पाद)
- अमेरिका को निर्यात: $10 बिलियन
- यह भारत के कुल फार्मा निर्यात का 31-35% है.
- टैरिफ बढ़ने से अमेरिका में भारतीय दवाएं महंगी हो सकती हैं और सप्लाई प्रभावित हो सकती है.
टेक्सटाइल (कपड़े और परिधान)
- अमेरिका को निर्यात: $10.8 बिलियन
- कुल टेक्सटाइल निर्यात का 28% अमेरिका जाता है
- पहले से ही 10-12% टैरिफ है, 25% अतिरिक्त टैक्स से भारतीय कारोबार को बड़ा नुकसान हो सकता है
रत्न और आभूषण
- अमेरिका को निर्यात: $12 बिलियन
- पहले से ही 27% टैक्स लागू है
- अगर और 25% बढ़ा, तो मुनाफे का मार्जिन बहुत घट सकता है
ऑटो पार्ट्स (वाहनों के पुर्जे)
- निर्यात: $2.2 बिलियन (2024 में)
- टैरिफ से इस क्षेत्र के निर्यात में गिरावट आ सकती है, जिससे इंजीनियरिंग सेक्टर पर असर पड़ेगा.
भारत ने दिखाया स्पष्ट रुख
डोनाल्ड ट्रंप की धमकी पर भारत ने केवल जवाब ही नहीं दिया, बल्कि फैक्टस के साथ यह भी बताया है कि वर्ल्ड पॉलिटिक्स में दोहरे मापदंड किस तरह काम करते हैं. इस स्टेटमेंट के साथ भारत ने ये भी साफ कर दिया है देश की ऊर्जा सुरक्षा और नागरिकों के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
इस पूरे मामले में भारत का ये रुख दिखाता है कि वह अब अंतरराष्ट्रीय दबावों के आगे झुकने वाला नहीं है, बल्कि तथ्यों और आत्मविश्वास के साथ अपनी नीति को दुनिया के सामने रख रहा है.
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